कल चौदवी की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा हम भी वही मौजुद थे हम से भी सब पूछा किये हम हंस दिये, हम चुप रहे,मंजूर था पर्दा तेरा इस शहर में किससे मिले, हम से तो छूटी महफ़िले हर शख्स तेरा नाम ले,हर शख्स दिवाना तेरा कुचे को तेरे छोडकर जोगी ही बन जाये मगर ज़ंगल तेरे, परबत तेरे,बस्ती तेरी,चेहरा तेरा बेदर्द सुनी हो तो चल, कहता है क्या अच्छी गज़ल आशिक़ तेरा, रूसवा तेरा,शायर तेरा,इंशा तेरा Gazal by इब्ने इंशा .