Gazal तू कही भी रहे सर पर तेरे इल्ज़ाम तो है

तू कही भी रहे सर पर तेरे इल्ज़ाम तो है
तेरे हाथों की लकिरों में मेरा नाम तो है

मुझको तू अपना बना या न बना तेरी खुशी
तू ज़माने में मेरे नाम से बदनाम तो है

मेरे हिस्से में कोई ज़ाम ना आया ना सही
तेरी महफ़िल में मेरे नाम कोई शाम तो है

देखकर लोग मुझे नाम तेरा लेते है
इसपे मैं खुश हूं मोहब्बत का ये अंजाम तो है

वो सितमगर ही सही देखके उसको साबिर
शुक्र है इस दिल-ए-बीमार को आराम तो है

Gazal by unknown

Comments

Popular posts from this blog

"MISSILE MAN" ko bachho ka khat