Gazal मैं होश में था तो फिर उसपे मर गया कैसे

मैं होश में था तो फिर उसपे मर गया कैसे,
ये जहर मेरे लहू में उतर गया कैसे,
कुछ उसके दिल में लगावट जरूर थी वरना,
वो मेरा हाथ दबाकर गुजर गया कैसे,
जरूर उसके तसव्वुर की राहत होगी,
नशे में था तो मैं अपने ही घर गया कैसे,
जिसे भुलाये कई साल हो गये कलीम,
मैं आज उसकी गली से गुजर गया कैसे,
Gazal by कंधपुरी

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