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Showing posts from May, 2015

ज़ुल्फ़ कन्धे से जो सरकी तो कमर तक पहुँची

तीरगी चांद के ज़ीने से सहर तक पहुँची ज़ुल्फ़ कन्धे से जो सरकी तो कमर तक पहुँची मैंने पूछा था कि ये हाथ में पत्थर क्यों है बात जब आगे बढी़ तो मेरे सर तक पहुँची मैं तो सोया था मगर बारहा तुझ से मिलने जिस्म से आँख निकल कर तेरे घर तक पहुँची तुम तो सूरज के पुजारी हो तुम्हे क्या मालुम रात किस हाल में कट-कट के सहर तक पहुँची एक शब ऐसी भी गुजरी है खयालों में तेरे आहटें जज़्ब किये रात सहर तक पहुँची By: राहत इन्दौरी

एक क़र्ज़ मांगता हूँ बचपन उधार दे दो

किस बाग़ में मैं जन्मा खेला मेरा रोम रोम ये जानता है तुम भूल गए शायद माली पर फूल तुम्हे पहचानता है जो दिया था तुमने एक दिन मुझे फिर वो प्यार दे दो एक क़र्ज़ मांगता हूँ बचपन उधार दे दो तुम छोड़ गए थे जिसको एक धूल भरे रस्ते में वो फूल आज रोता है एक अमीर के गुलदस्ते में मेरा दिल तड़प रहा है मुझे फिर दुलार दे दो एक क़र्ज़ मांगता हूँ बचपन उधार दे दो... मेरी उदास आँखों को है याद वो वक़्त सलोना जब झूला था बांहों में मैं बन के तुम्हारा खिलौना मेरी वो ख़ुशी की दुनिया फिर एक बार दे दो एक क़र्ज़ मांगता हूँ बचपन उधार दे दो... तुम्हे देख उठते है मेरे पिछले दिन वो सुन्हेरे और दूर कहीं दिखते हैं मुझसे बिछड़े दो चेहरे जिसे सुनके घर वो लौटे मुझे वो पुकार दे दो एक क़र्ज़ मांगता हूँ बचपन उधार दे दो ... By: प्रदीप

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीददार नहीं हूँ ज़िन्दा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी हर चंद कि हूँ होश में, होशियार नहीं हूँ  By: अकबर इलाहाबादी

Safalta ka rahasya

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या  है? सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना. सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?” लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना” सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना  चाहते थे  तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.  By: अज्ञात

Pati aur patni

पत्नी पति को प्रसन्न रखने का व्रत और पति पत्नी को प्रसन्न रखने का व्रत रखे | यदि दम्पति एकात्मभाववाले हो तो यह संसार भी सारयुक्त बन सकता है | यहाँ इस धरती पर भी स्वर्ग के दर्शन करने हो तो दम्पति को अपने जीवन में अभिन्नता की भावना उत्पन्न करनी चाहिए | By: मनुस्मृति

सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं

हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’ रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना भेजे गए फ़रिश्ते हमारे बचाव को जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती तार पर बैठी हुई चिड़ियों को सोता देख कर फ़र्श पर सोता हुआ बेटा बहुत अच्छा लगा By: मुनव्वर राना

Bir chandra sekhar

महायज्ञ का नायक शेखर, गौरव भारत भू का है जिसका भारत की जनता से रिश्ता आज लहू का है जिसके जीवन की शैली ने हिम्मत को परिभाषा दी जिसके पिस्टल की गोली ने इंकलाब को भाषा दी जिसने धरा गुलामी वाली क्रांति निकेतन कर डाली आजादी के हवन कुंड में अग्नि चेतन कर डाली जिसको खूनी मेंहदी से भी देह रचाना आता था आजादी का योद्धा केवल नमक चबेना खाता था अब तो नेता पर्वत सड़कें नहरों को खा जाते हैं नए जिलों के शिलान्यास में शहरों को खा जाते हैं महायज्ञ का नायक शेखर, गौरव भारत भू का है जिसका भारत की जनता से रिश्ता आज लहू का है By: हरिओम पंवार

अपने रुख पर निगाह करने दो

अपने रुख पर निगाह करने दो, ये खुबसूरत गुनाह करने दो | रुख से परदा हटाओ जाने हया, आज दिल को तबाह करने दो | By  unknown

Aapke haath me jiska naseeb hoga

Na jane wo kaun itna haseen hoga.. Aapke haath me jiska naseeb hoga.. Koi aapko chahe ye koi badi baat nahi.. Jisko aap chaho wo khushnaseeb hoga.. By    unknown

Ek anubhav

छोटी उम्र में मैंने देखा की में जो कम करता था उनमे से दस में से नो निष्फल हो जाते थे, लेकिन मुझे निष्फल नहीं होना था | इसीलिए बाद में मै दसगुना अधिक काम करने लगा | By: ज्योर्ज बर्नार्ड शो

Dil ki duri

एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे . संयासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ; ” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?’ शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !” ” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया . कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया  पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए . अंततः सन्यासी ने समझाया … “जब दो लोग आपस में  नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से  बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते ….वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा. क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-

कि जब साथ में खुद के ही साये नहीं होते

निरंतर जिंदगी में दुःख के दिन नहीं होते, चमन में फूल भी है, केवल कांटे नहीं होते | समय ऐसा भी आता है इस जिंदगानी में, कि जब साथ में खुद के ही साये नहीं होते || By: मुकबिल' कुरेशी

काँग्रेसियों का देखो आज तुम कमाल जी

गाँधी के विरोधियों पुजारियों का मेल है राजनीति सांप और नेवले का खेल है काँग्रेसियों का देखो आज तुम कमाल जी धीरे-धीरे पूरी काँग्रेस है हलाल जी कोई पश्चाताप नहीं ना कोई मलाल जी क्या हुआ जो जूतियों में बाँट रही है दाल जी कांग्रेस नेहरु और गोखले की जान थी कांग्रेस इंदिरा जी की आन-बान-शान थी कांग्रेस गाँधी जी तिलक का स्वाभिमान थी कल स्वतंत्रता -सेनानी होने का प्रमाण थी काँग्रेस अरुणा आसिफ अली का ईमान थी कांग्रेस भारती की पूजा का सामान थी कांग्रेस भिन्नता में एकता की तान थी पूरे देश को जो बांध सके वो कमान थी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस काँग्रेसी थे टंडन जी, नरेंदर देव घोष काँग्रेसी थे लाल बहादुर की अंतिम साँस काँग्रेस थी लोहिया जी की भी कभी प्यास काँग्रेस थी लाला लाजपत की चोट वाली काँग्रेस थी हर गली-गली में वोट वाली काँग्रेस थी जे.पी. की भी जली थी जवानी काँग्रेस में आजादी की पली थी कहानी काँग्रेस में काँग्रेस पार्टी जो शुरू से महान थी जो स्वतंत्र - काल में अधिक समय प्रधान थी काँग्रेसी टोपी कल जो शीश पे थी शेरों के आज पैरों में है ऐरे-गैरे नत्थू खैरों के By: हर

चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें

सज़ा का हाल सुनाये जज़ा की बात करें ख़ुदा मिला हो जिन्हें वो ख़ुदा की बात करें उन्हें पता भी चले और वो ख़फ़ा भी न हो इस एहतियात से क्या मज़ा की बात करें हमारे अहद की तहज़ीब में क़बा ही नहीं अगर क़बा हो तो बन्द-ए-क़बा की बात करें हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाता करें तो हम भी मगर किस ख़ुदा की बात करें वफ़ाशियार कई हैं कोई हसीं भी तो हो चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें By: साहिर लुधियानवी

साले वही questions compulsory होते है

ये exam के रिश्ते भी अजीब होते है, सब के अपने अपने नसीब होते है, रहते है जो निगाहो से दूर, साले वही questions compulsory होते है  By: अज्ञात

CSAT kya hai

CSAT ka pura nam "civil services aptitude test" hai. Yah civil services preliminary examination ka modern rup hai.  Yah screening test hai civil services main examination ke liye jo har sal UPSC ( union public service commission of india) dwara conduct kiya jata hai. Note-  UPSC ka manana hai ki civil services ke lliye kisi subject par maharat hasil hona jaruri nahi hai  isliye  civil services preliminary examination  ke syllabus me badlav kar k Uska nam CSAT kar diya gya CSAT pass kar k hi civil services main eexamination me baitha ja sakta hai ELIGIBILITY -  BHARAT KA NAGRIK HONA JARURI HAI -  AAPKA AGE NA HI 21 SE KAM HONA CHAHIYE NA HI 32 SE JYADA note    for  obc   21 -  35            ;       for sc/St    21-37 - AAPKE PASS SNATAK (DEGREE)  KA CERTIFICATE  HONA CHAHIYE - AAP 6 BAAR SE JYADA EXAM ME NAHI BAITH SAKTE note   for  obc   9 baar                for   sc/St     unlimited PAPER PATTERN CSAT  ke do paper hote hai  dono hi compulsory hote

जिनसे हम बिछुड़ गये अब वो जहान कैसे हैं

जिनसे हम बिछुड़ गये अब वो जहान कैसे हैं शाख़े-गुल कैसी हैं ख़ुशबू के मकान कैसे हैं ऐ सबा तू तो उधर ही से गुज़रती होगी उस गली में मेरे पैरों के निशान कैसे हैं  By: काव्य मोती संग्रह

तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले

तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले अपने पे भरोसा है तो ये दाँव लगा ले डरता है ज़माने की निगाहों से भला क्यों इन्साफ़ तेरे साथ है इल्ज़ाम उठा ले क्या ख़ाक वो जीना है जो अपने ही लिए हो ख़ुद मिट के किसी और को मिटने से बचा ले टूटे हुए पतवार हैं किश्ती के तो ग़म क्या हारी हुई बाहों को ही पतवार बना ले तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले अपने पे भरोसा है तो ये दाँव लगा ले By: साहिर लुधियानवी

Bahut hi karib se dekha hai maine jindagi ke is pahlu ko

Bahut hi karib se dekha hai maine jindagi ke is pahlu ko Dard hi Dard bhara hai is kahani me Na jane kya dhundhti hai uthati hui ye nazre kast k is mahasagar me Yaha to patthar hi patthar pade hai chamak bas moti si hai by  sailab zauhar

आँखों में रहा, दिल में उतर कर नहीं देखा

आँखों में रहा, दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नज़र है आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनेँ जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा आँखों में रहा, दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा बशीर बद्र

Dhundhne chala mai akash yahan to dharti ki bhi aasa na thi

Dhundhne chala mai akash yahan to dharti ki bhi aasa na thi Mil gai thodi khusi wahi kafi hai yaha to kast ki bhi aasa na thi Kaise samjhaye hum un na samajh bando ko Mil gya thoda sa pyar wahi kafi hai yaha to nafrat ki bhi aasa na thi by   Sailab zauhar

Aap ke husn ne to hame diwana bana diya hai

Aap ke husn ne to hame diwana bana diya hai Aap ke isq me hum pagal ho chale hai Nahi lagta ki ji payenge ab hum aapko bhul kar Bus yu samajh lijiye ki hum aapke ho gaye hai by  sailab zauhar

Ham to gaflat me the aasiki k

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Sikayat kare bhi to kiski

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